प्रतिवर्षानुसार आश्र्विन शुक्ल पंचमी से महानवमी (रविवार १० से गुरुवार १४ अक्तूबर २०२१) तक माणिकनगर में श्री मधुमती पंचरात्रोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। पंचरात्रोत्सव के आरंभ के अवसर पर ललिता पंचमी के दिन श्रीजी पुण्याहवाचन संपन्न करेंगे। श्री व्यंकम्मा देवी मंदिर में घटस्थापन, मालाबंधन, अखंड दीपप्रज्ज्वालन के साथ श्री देवी भागवत पारायण, श्रीसप्तशती पाठ, मल्लारी महात्म्य एवं मल्लारी सहस्रनाम पाठ इत्यादि कार्यक्रमों का श्रीगणेश होगा। पंचरात्रोत्सव के काल में नित्य सायं लक्ष्मीसूक्तविधानपूर्वक पंचदशावर्तन श्रीसूक्त अभिषेक एवं सहस्रकुंकुमार्चन पूर्वक शोडषोपचार महापूजा श्रीदेवी व्यंकम्मा मंदिर में संपन्न किए जाएंगे। इस पंचरात्रोत्सव के दौरान शाम के समय देवी व्यंकम्मा के समाधि मंदिर में सांप्रदायिक भजन का कार्यक्रम संपन्न होगा। महापूजा के पश्चात प्रदोषपूजा एवं कुमारिकापूजन के लिए श्रीजी, व्यंकम्मा देवालय में पधारेंगे। दुर्गाष्टमी के अवसर पर श्रीदेवी की विशेष महापूजा संपन्न होगी। महानवमी के दिन नवचंडी याग की पूर्णाहुति के पश्चात् प्रदोषपूजा के समय सरस्वतीपूजन एवं घटोत्थापन के साथ श्रीमधुमती पंचरात्रोत्सव सुसंपन्न होगा।
प्रभु संप्रदाय में यह मान्यता है, कि भगवान् दत्तात्रेय की आदिशक्ति देवी मधुमती ने ही व्यंकम्मा के रूप में अवतार धारण किया है। इसलिए देवी व्यंकम्मा की आराधना यहॉं मधुमती श्यामला के रूप में की जाती है। श्री सदगुरु मार्तंड माणिकप्रभु महाराज ने देवी व्यंकम्मा की महिमा को उजागर करते हुए भक्तजनों को देवी की अलौकिक लीलाओं का परिचय करवाया है। महाराजश्री ने भगवती व्यंकम्मा की स्तुति में सुंदर पदों की रचना की है। इन रचनाओं में महाराजश्री ने देवी व्यंकम्मा के आध्यात्मिक स्वरूप का अद्भुत वर्णन किया है। देवी के जिस दिव्य स्वरूप के दर्शन महाराजश्री ने पाए थे और जो कृपा उन्होंने प्राप्त की थी उसी दिव्य अनुभूति को महाराजश्री ने अपनी सुंदर रचनाओं के माध्यम से हमारे लिए अभिव्यक्त किया है। देवी की स्तुति में एक स्थान पर महाराजश्री कहते हैं :
व्यंकानाम जगज्जननी कुलभूषण ही अवतरली हो।
शंका भ्रम चंड मुंड मर्दिनी रंकाऽमर पद देई हो।।
पद्मासनी शुभ शांत मुद्रा। शुभ्रांबर कटि कसली हो।
परमप्रिय गुरुभक्तां सुखकर। वरदेण्या ही सजली हो।।
पंचरात्रोत्सव के दौरान देवी व्यंकम्मा मंदिर में अनेक अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं जिनमें सहस्र कुंकुमार्चन सेवा का अपना एक अलग महत्व है। ललिता पंचमी से आरंभ होकर महानवमी तक नित्य होने वाली सहस्र कुंकुमार्चन सेवा में जो सद्भक्त सहभागी होना चाहते हों वे नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करें। इस लिंक पर जाकर आप अपना नाम इस सेवा के लिए दर्ज कर सकते हैं। सेवा में सहभागी हुए सद्भक्तों को उत्सव के उपरांत प्रसाद पोस्ट द्वारा भेजा जाएगा।
माणिकनगर में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ आयोजित होने वाले पंचरात्रोत्सव में यहॉं पधारकर श्रीदर्शन, सेवा एवं महाप्रसाद का लाभ लेने के लिए श्रीप्रभु संस्थान की ओर से हम समस्त सद्भक्तों को निमंत्रित करते हैं।
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Jai guru Manik
जय गुरूमाणिक, महायोगिनी जय देवी श्रीव्यंकम्मा माता…
జై గురు మాణిక్