गुरुमंत्र
एक राजा था। उसके राज्य में एक साधु रहा करता था। राज्य के अनेक लोग उस साधु के शिष्य बन गए थे। साधु की कीर्ति राजा तक पहुँची। राजा के मन में उस साधु से मिलने की इच्छा जागृत हुई और एक दिन राजा उस साधु के आश्रम में जा पहुँचा। राजा ने साधु को नमस्कार किया और कहा –...
गुरुवाणी
एक बार नारदजी की हनुमानजी से भेंट हुई। दोनों परम भक्त, दोनों ज्ञानी और दोनों अतीव बुद्धिमान्। कुशल-क्षेम के पश्चात् नारदजी ने अपने स्वभाव के अनुसार हनुमानजी को छेड़ना प्रारंभ कर दिया। नारदजी ने कहा - "हनुमान्! तुम निस्संदेह सर्वश्रेष्ठ भक्त हो, तुम्हारी भक्ति अनुपम...
अधिकमास में गीता ज्ञानयज्ञ
१८ सितंबर से अधिकमास का आरंभ होने जा रहा है। कहा गया है अधिकस्य अधिकं फलम् - अधिक मास के दौरान अधिक से अधिक समय जप-तप, अनुष्ठान में व्यतीत करने से हमारी साधना को विशेष बल मिलता है। गत कुछ दिनों से संस्थान के कार्यालय से संपर्क करके कईं भक्तजनों ने जानना चाहा कि आने...
श्रीगणपति विसर्जन
श्रीगणेश चतुर्थी से लेकर ११ दिनों तक प्रभु मंदिर में श्रीगणेशोत्सव संपन्न हुआ। इस वर्ष करोना महामारी के चलते प्रतिवार्षिक धूमधाम का अभाव होते हुए भी संपूर्ण विधिविधानपूर्वक श्रीगणेशोत्सव के कार्यक्रम संपन्न हुए। मंगलवार १ सितंबर की रात्रि को श्रीजी ने श्रीगणेशजी की...
कीर्तिमुख
कईं मंदिरों के मुख्य द्वार पर आपने एक विक्राल राक्षस का चेहरा बना हुआ देखा होगा। बड़ी-बड़ी भयानक आंखे, मुह के बाहर लटकती लंबी जीभ और टेढ़े-मेढ़े दांतों वाला यह चहरा बड़ा ही उग्र होता है। परंतु देवालयों के मुख्य द्वार पर भला राक्षस का क्या काम? हमारे मन में ऐसा प्रश्न...
वो दिखा रहे हैं जल्वा …
वो दिखा रहे हैं जल्वा चेहरा बदल बदल के। मरकज़ हैं वो अकेले सारी चहल-पहल के।। देखी जो शक्ल उनकी लगते हैं अपने जैसे। मिलने उन्हें चला है ये दिल उछल उछल के।। उनको गले लगाकर पहलू में बैठने को। बेताब हो रहा है दिल ये मचल मचल के।। शीशे में अक़्स अपना देखा वो दिख रहे हैं।...
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