प्रतिवर्ष श्रावण मास में नित्य प्रभुसमाधि की सहस्रबिल्वार्चनुयुक्त महापूजा संपन्न की जाती है। प्रभुसमाधि के बिल्वार्चन का विशेष महत्व है, क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है-
दन्ति कोटि सहस्राणि अश्वमेध शतानि च।
कोटिकन्या महादानं एकबिल्वं शिवार्पणम्॥
एक हज़ार हाथियों के दान का जो पुण्य है, सौ अश्वमेध यज्ञों का जो पुण्य है एवं एक कोटि कन्यादान का जो पुण्य है, वह समस्त पुण्यराशि भगवान् शिव को एक बिल्वपत्र के अर्पण से प्राप्त हो जाती है।
इसीलिए स्वयं भगवान् ने गीता के नवे अध्याय में कहा है-
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतं अश्नामि प्रयतात्मन:॥
जो कोई भी शुद्ध अंत:करणयुक्त भक्त पत्र, पुष्प, फल, जल इत्यादि कोई भी वस्तु भक्तिपूर्वक मुझे अर्पित करता है, उस भक्तिपूर्वक अर्पित वस्तु को मैं स्वीकार कर लेता हॅूं।
इस श्लोक में भगवान् ने ‘पत्र’ पद का जो प्रयोग किया है, उसका इंगित भगवान् को अत्यंत प्रिय तुलसी अथवा बिल्वपत्र की ओर है। बिल्वपत्र में तीन दल होते हैं। यह तीन दल जागृति, स्वप्त एवं सुषुप्ति इन तीन अवस्थाओं के प्रतीक हैं। ये तीन दल ‘कौमारं यौवनं जरा’ बाल्यावस्था, युवावस्था एवं वृद्धावस्था इन तीन स्थितियों के प्रतीक हैं। उसी प्रकार सत्त्व, रज एवं तम इन तीन गुणों का प्रतीक भी यह बिल्वदल है। अस्तु भक्तिपूर्वक एक बिल्वदल प्रभु को अर्पित करने के पीछे का भाव यह है कि, हे प्रभो मैं जागृति, स्वप्न सुषुप्ति; बाल्यावस्था, युवावस्था एवं वृद्धावस्था इन सभी अवस्थाओं में सर्वथा आपके चरणों में समर्पित रहूँगा। मैं सत्त्व, रज एवं तम इन तीनों गुणों में बरतता हुआ सदैव आपकी ही सेवा में रत रहूँगा। इस भावना के साथ जो बिल्वपत्र प्रभु को अर्पित करता है उसके योगक्षेम का समस्त उत्तरदायित्व श्री प्रभु स्वयं उठाते हैं, और इस आशय का आश्वासन भी उन्होंने स्पष्ट शब्दों में दिया है-
अनन्याश्चिंतयंतो मां ये जना: पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
अनन्य भाव से मेंरा चिंतन करते हुए जो लोग सम्यक् प्रकार से मेंरी उपासना करते हैं, उन मुझसे नित्ययुक्त भक्तों के योगक्षेम का वहन मैं स्वयं करता हॅूं।
अस्तु सूचित करते हुए आनंद होता है कि इस वर्ष श्रावणमास का महोत्सव सोमवार दिनांक ९ अगस्त को प्रारंभ होकर मंगलवार दिनांक ७ सितंबर २०२१ को समाप्त हो रहा है। प्रभु समाधि का बिल्वार्चन करवाने की इच्छा रखनेवाले भक्तजन स्वेच्छा से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक का उपयोग करें : https://manikprabhu.org/shravan-message/?shorturl_id=4426&user_identifier=M7KEFx7
[social_warfare]
SRI SADGURU MANIK PRABHU MAHARAJ KI JAI
Jai guru manik