जय श्री सद्गुरुनाथा …

(धुन – ॐ जय जगदीश हरे…)

जय श्री सद्गुरुनाथा जय श्री सद्गुरु दत्ता
सकलमतस्सनायक भुक्ति-मुक्तिपददायक
माणिक अवधूता जय श्री सद्गरुनाथा ।।ध्रु.।।

सकल सृष्टि में गोचर
अस्तिभातिप्रियता, प्रभु अस्तिभातिप्रियता
जड काया को देते, जड काया को देते
तुम निज चेतनता, प्रभु तुम निज चेतनता।।
जय श्री सद्गुरुनाथा जय श्री सद्गुरु दत्ता
सकलमतस्सनायक भुक्ति-मुक्तिपददायक
माणिक अवधूता जय श्री सद्गरुनाथा ।।१।।

देहत्रय में भासित
है जो चित्सत्ता, प्रभु है जो चित्सत्ता
भोगत्रय में भी वह, भोगत्रय में भी वह
ज्योतित भासकता, प्रभु ज्योतित भासकता।
जय श्री सद्गुरुनाथा जय श्री सद्गुरु दत्ता
सकलमतस्सनायक भुक्ति-मुक्तिपददायक
माणिक अवधूता जय श्री सद्गरुनाथा।।२।।

विविध मतों में स्थापित
की तुमने समता, प्रभु की तुमने समता।
मधुकरसम दिखलाई, मधुकरसम दिखलाई
मधुसंग्रह क्षमता, चिन्मधु संग्रह क्षमता।
जय श्री सद्गुरुनाथा जय श्री सद्गुरु दत्ता
सकलमतस्सनायक भुक्ति-मुक्तिपददायक
माणिक अवधूता जय श्री सद्गरुनाथा ।।३।।

ज्ञानरूप तुम माणिक
ज्ञेय तुम्ही ज्ञाता, प्रभु ज्ञेय तुम्ही ज्ञाता।
ज्ञानहीन शरणागत, ज्ञानहीन शरणागत
पद पर रख माथा, प्रभु पद पर रख माथा।
जय श्री सद्गुरुनाथा जय श्री सद्गुरु दत्ता
सकलमतस्सनायक भुक्ति-मुक्तिपददायक
माणिक अवधूता जय श्री सद्गरुनाथा।।३।।

साजिश वो कर रहे हैं …

साजिश वो कर रहे हैं, या फिर करा रहे हैं।
हर रोज़ कुछ न कुछ कर मुझको डरा रहे हैं।।

मैं रो रहा हूँ अपनी लाचार बेबसी पर।
उनको नहीं है मतलब वो मुस्कुरा रहे हैं।।

हाथी वज़ीर घोड़े प्यादे चला चलाकर।
शतरंज खेलकर वो मुझको हरा रहे हैं।।

पहचानता हूँ उनकी फितरत औ’ हरकतों को।
शायद इसीलिए वे नज़रें चुरा रहे हैं।।

कंबख्त ‘ज्ञान’ उनकी साजिश में फॅंस गया है।
इस खेल में वो खुद को रुसवा करा रहे हैं।।

माणिकनगर की मृत्तिका अयोध्या रवाना

श्री रामजन्मभूमी तीर्थक्षेत्र न्यास एवं विश्व हिंदू परिषद द्वारा किए गए अनुरोध पर प्रभुसंस्थान के सचिव श्री आनंदराज माणिकप्रभु ने आज माणिकनगर की पवित्र मृत्तिका एवं गुरुगंगा-विरजा संगम के पावन जल को परिषद के प्रतिनिधि को सौंपा. दि. 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में होनेवाले प्रस्तावित राममंदिर के भूमिपूजन के अवसर पर इस जल एवं मृत्तिका का विनियोग मंदिर की नींव में किया जाएगा. श्री माणिकप्रभु संस्थान के प्रसक्त पीठाधिपति श्री सद्गुरु ज्ञानराज माणिकप्रभु महाराज ने मंदिर निर्माणकार्य के शुभारंभ पर हर्ष व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

 

गादी अष्टमी संपन्न

आज दिनांक २७-०७-२०२० को गादी अष्टमी के अवसर पर श्रीजी ने श्री मार्तंड माणिकप्रभु महाराज के समाधि मंदिर में स्थित श्री प्रभु गादी एवं श्रीसमाधि की रुद्राभिषेकयुक्त एवं सहस्रबिल्वार्चनयुक्त महापूजा संपन्न की। इस अवसर पर पारंपरिक सोमवार भजन भी संपन्न हुआ।

आज से 104 वर्ष पूर्व, दिनांक 7 अगस्त 1916 को श्रीमन्मार्तण्ड माणिक प्रभु महाराज को उनके देवघर (पूजाघर) में श्रीप्रभु के सगुण रूप के दर्शन हुए थे। जिस स्थान पर उन्हें दर्शन हुए उसी स्थान पर श्रीजी ने गादी प्रस्थापित की। इस पर्व को प्रतिवर्ष श्रीसंस्थान में ‘गादी अष्टमी’ के नाम से मनाया जाता है।

आज श्रावण सोमवार निमित्त श्री प्रभुसमाधि की रुद्राभिषेकयुक्त एवं सहस्रबिल्वार्चनयुक्त महापूजा भी संपन्न हुई।





श्रावणमास उत्सव प्रारंभ

दिनांक 21 जुलाई 2020 को श्रीजी ने गणपति पूजन कर प्रतिवार्षिक श्रावण मास उत्सव का शुभारंभ किया। नित्य प्रभु समाधि की लघुन्यासपूर्वक रुद्राभिषेकयुक्त तथा सहस्र बिल्वार्चनयुक्त महापूजा, महानैवेद्य, सकलदेवता दर्शन तथा सायंकाल रत्नमाणिक्यसूक्त अभिषेकपूर्वक अष्टोत्तरशत बिल्वार्चनयुक्त प्रदोष पूजा का क्रम विधिवत् प्रारंभ हुआ।

मैं आ गया प्रभु की शरण…

है बड़ा सौभाग्य मेंरा,
प्राप्त हैं प्रभु के चरण।
धन्य यह जीवन हुआ
मैं आ गया प्रभु की शरण।।

जन्म यह दुर्लभ बड़ा
अनमोल है प्रत्येक क्षण।
फिर मिले या ना मिले
प्रभु का भजन प्रभु का सदन।
भटकना अब और कितना
बस हुआ आवागमन।
भ्रमण का हो अंत प्रभु
अब हो यही अंतिम मरण।।

भजन के आनंद में
यह चित्त भावविभोर है।
प्रेम रस के मेघ
हृदयाकाश में घनघोर हैं।
कंठ गद्गद हो रहा
कैसे करूं प्रभु का स्तवन।
मन द्रवित है आंसुओं से
भीगते मेरे नयन।।

मुक्त स्वर में गा सकूँ
प्रभु के वचन प्रभु के भजन।
नाचते गाते बजाते
देह का हो विस्मरण।
गिर पडूँ मैं भूमि पर
जब छूट जाए संतुलन।
सफल यह होगा जनन
जब प्राप्त हो ऐसा मरण।।

पूर्वजन्मों के फलित
बहु पुण्य का परिणाम है।
झांज हाथों में, अधर पर
मधुर माणिक नाम है।
प्रभु कृपा के दिव्य अनुभव
का न हो सकता कथन।
इसलिए अब कर लिया है
मौन का मैंने वरण।।

आस दर्शन की लिए
मैं कर रहा नामस्मरण।
नाम महिमा से मिटे
विक्षेप मल औ’ आवरण।
लूट लो मन-बुद्धि को
हो दास का भवभयहरण।
शीघ्र हो अति शीघ्र हो
चैतन्य का प्रभु से मिलन।।