साजिश वो कर रहे हैं, या फिर करा रहे हैं।
हर रोज़ कुछ न कुछ कर मुझको डरा रहे हैं।।

मैं रो रहा हूँ अपनी लाचार बेबसी पर।
उनको नहीं है मतलब वो मुस्कुरा रहे हैं।।

हाथी वज़ीर घोड़े प्यादे चला चलाकर।
शतरंज खेलकर वो मुझको हरा रहे हैं।।

पहचानता हूँ उनकी फितरत औ’ हरकतों को।
शायद इसीलिए वे नज़रें चुरा रहे हैं।।

कंबख्त ‘ज्ञान’ उनकी साजिश में फॅंस गया है।
इस खेल में वो खुद को रुसवा करा रहे हैं।।

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