है बड़ा सौभाग्य मेंरा,
प्राप्त हैं प्रभु के चरण।
धन्य यह जीवन हुआ
मैं आ गया प्रभु की शरण।।

जन्म यह दुर्लभ बड़ा
अनमोल है प्रत्येक क्षण।
फिर मिले या ना मिले
प्रभु का भजन प्रभु का सदन।
भटकना अब और कितना
बस हुआ आवागमन।
भ्रमण का हो अंत प्रभु
अब हो यही अंतिम मरण।।

भजन के आनंद में
यह चित्त भावविभोर है।
प्रेम रस के मेघ
हृदयाकाश में घनघोर हैं।
कंठ गद्गद हो रहा
कैसे करूं प्रभु का स्तवन।
मन द्रवित है आंसुओं से
भीगते मेरे नयन।।

मुक्त स्वर में गा सकूँ
प्रभु के वचन प्रभु के भजन।
नाचते गाते बजाते
देह का हो विस्मरण।
गिर पडूँ मैं भूमि पर
जब छूट जाए संतुलन।
सफल यह होगा जनन
जब प्राप्त हो ऐसा मरण।।

पूर्वजन्मों के फलित
बहु पुण्य का परिणाम है।
झांज हाथों में, अधर पर
मधुर माणिक नाम है।
प्रभु कृपा के दिव्य अनुभव
का न हो सकता कथन।
इसलिए अब कर लिया है
मौन का मैंने वरण।।

आस दर्शन की लिए
मैं कर रहा नामस्मरण।
नाम महिमा से मिटे
विक्षेप मल औ’ आवरण।
लूट लो मन-बुद्धि को
हो दास का भवभयहरण।
शीघ्र हो अति शीघ्र हो
चैतन्य का प्रभु से मिलन।।

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