काहे कि चिंता और काहे का डर,
जब उपरवाला बैठा है तेरे लिए,
तुझे तो खाली प्रभूनाम जपना है,
वो भी पूरे दिलसे

ना देख तू इधर ना देख तू उधर,
वो तो बैठा है तेरे भीतर,
तुझे तो खाली वह जानना है
निष्ठा रख पूरे दिलसे..

जिस मुरत को तू पूज रहा है,
वह तो है पत्थर का,
उसके तत्व को तुझे संजोडना है,
समर्पण भाव रख पूरे दिलसे.

आवागमन तो चलता रहेगा,
क्या प्राप्त करना है वो तू समझले,
गुरुकृपा से ही होने वाला है,
ये सत्य समझले पूरे दिलसे..

यहाँ तो हम सभी मुसाफिर है,
ना कोई अपना है ना कोई पराया,
केवल वही है सत्य, अंतिम लक्ष्य..
ध्यान रखना पूरे दिलसे…

अपने मन को रख शांत, भेदना है षट्चक्र को,
उस में ही मिल जाना है,
न रहेगा कोई द्वैत. जानले ये सत्य पूरे दिलसे..

भक्ती में ही शक्ती है,
ज्ञान से ही मुक्ती है,
तुझे तो खाली खुदको समर्पित करना है,
नौका पार करायेगा. वो तेरी सच्चे दिल से…

गुरू को तू बंधन में ना बांध.. ना देख
वो तो खुद ब्रह्मतत्व में लीन हो गया है,
बैठा है हमारी राह देख..
वो ही ले जायेगा हमें पूरे प्रेम से पूरे दिल से

[social_warfare]