प्रभु ने मुझे अपनाया
दुनिया ने मुझे ठुकराया।
प्रभु ने मुझको अपनाया।।
किस जगह से मैं आया।
क्या क्या मैंने पाया।
ये तो प्रभु जाने।।१।।

मैं जीवन भर रोता ही रहा।
प्रभु ने मुझे हँसने को कहा।।
बस हुआ इधर उधर भटकना।
प्रभु के चरणों में अब रहना।।
कोई न बोले मुझको यहॉं से उठ।

मैंने अभीतक तुझसे कुछ मांगा नहीं। क्या मांगूं मैं तुझसे हे प्रभो? सबकुछ तूने ही मुझको दिया है। दो हाथ मिले हैं काम करने के लिए। दो आंखें मिली हैं तेरे दर्शन के लिए। दो कान मिले हैं तेरा गुणगान सुनने के लिए। जिह्वा मिली है तेरे नामस्मरण के लिए। दो पैर मिले हैं तेरे मंदिर जाने के लिए। फिर भी मैं कहता हूँ  कि मुझको तू कुछ तो दे दे।

प्रभु बोले – अरे मूर्ख इन्सान, जो तुझको मैंने दिया है पहले उसीकी कदर करले फिर उसके बाद मुझे बताना कि मैंने तुझको क्या नहीं दिया?

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