सन्‌ १४५८ की माघ कृष्ण प्रतिपदा को श्री नृसिंहसरस्वती स्वामी महाराज ने श्रीशैल क्षेत्र में अपने भौतिक स्वरूप को आच्छादित किया था इसलिए यह पर्व श्रीगुरु प्रतिपदा के नाम से प्रसिद्ध है। श्रीप्रभु संस्थान में प्रतिवर्ष श्रीगुरु प्रतिपदा के परम पावन अवसर पर महापूजा और भजनादि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्रतिपदा से एक दिन पूर्व माघ पौर्णिमा के दिन ब्रह्मचारी, श्रीप्रभु की झोली लेकर माणिकनगर ग्राम में भिक्षाटन करते हैं। वर्षभर में केवल इसी विशेष पर्व पर गांव के प्रत्येक घर से प्रभु की झोली भिक्षा स्वीकार करती है। इस पर्व पर साक्षात्‌ प्रभु ही झोली लेकर हमारे घर भिक्षा के लिए पधारे हैं ऐसी भावना से माणिकनगर के सभी ग्रहस्थ अत्यंत आदर एवं भक्ति से अपने आंगन में दत्तप्रभु की झोली का स्वागत करते हैं।

गांव की महिलाऍं आज के दिन झोली के स्वागत के लिए अपने-अपने घरों के आंगन को गोबर से लीपकर रंगोलियों एवं फूलों से सजाकर गलियों की शोभा बढाती हैं। विविध पुष्प-पल्लवों से और आम के तोरणों से सजे हुए घरों के सुंदर द्वार सर्वत्र उत्साह एवं आनंद की लहर को बिखेरते हैं। ब्रह्माचारी की पूजा- आरती संपन्न करने के बाद घर के यजमान श्रद्धायुक्त अंतःकरण से झोली में यथाशक्ति द्रव्य अथवा धान्य अर्पित करके महाप्रसाद स्वीकार करते हैं।

यह परंपरा यहॉं पिछले १८० वर्षों से चली आ रही है। गांव के सभी घरों से भिक्षा लेने के पश्चात्‌ प्रभु की झोली महाराजश्री के निवास पर पधारती है। यहॉं स्वयं श्रीजी झोली लेकर आए हुए प्रभु स्वरूप ब्रह्मचारियों की पूजा संपन्न करके भिक्षा समर्पित करते हैं। पौर्णिमा के दिन भिक्षा में प्राप्त जो धान्य संग्रहित होता है, अगले दिन उसी धान्य-सामग्री से भंडारखाने में महाप्रसाद बनाया जाता है और अगले दिन श्रीगुरुप्रतिपदा की महापूजा के उपरांत इस महाप्रसाद को भक्तजन ग्रहण करते हैं। प्रभु का प्रसाद तो दिव्य होता ही है परंतु श्रीगुरुप्रतिपदा की भिक्षा का यह महा प्रसाद अत्यंत विशिष्ट माना गया है। इस महाप्रसाद को प्राप्त करने से मनुष्य पाप मुक्त होकर श्रीप्रभु की असीम अनुकंपा का अधिकारी बन जाता है, ऐसी मान्यता है। इस वर्ष भी प्रतिवर्षानुसार गुरुपौर्णिमा के अवसर पर भिक्षाटन का कार्यक्रम परंपरा के अनुरूप संपन्न हुआ। कल श्री गुरु प्रतिपदा के अवसर पर आयोजित होने वाली महापूजा तथा भंडारखाने में होने वाले महाप्रसाद के कार्यक्रम का लाभ लेने के लिए हम सभी सद्भक्तों को निमंत्रित करते हैं।

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