श्री मनोहर माणिकप्रभु महाराजांच्या १५८व्या जयंती निमित्त
श्री ज्ञानराज माणिकप्रभूंची नूतन रचना
आरती श्रीमनोहरप्रभूंची
(चाल: आरती सगुण माणिकाची…)
आरती सद्गुरुरायाची।
मनोहरप्रभुच्या पायाची।।ध्रु.।।
श्रोत्रियब्रह्मनिष्ठ त्यागी।
स्वयं परिपूर्ण वीतरागी।
ज्ञानविज्ञानतृप्त योगी।
चिरन्तन आत्मसौख्य भोगी।।
घेई विषयापासुनि मोड।
लागे नामामृत बहु गोड।
कर निज प्रभुचरणाप्रति जोड।
ठेवी अंतरि अविरत ओढ।।
असा सद्गुरू।
परात्परतरू।
कल्पतरुवरू।
आरती करू चला त्याची।
मनोहरप्रभुच्या पायाची।।१।।
प्रभाते दीप्त जशी प्राची।
समुज्ज्वल दिव्य तनू ज्याची।
जशी श्रुति शास्त्र पुराणाची।
सुसंस्कृत गिरा तशी त्याची।।
मूर्ति जरि असे वयाने सान।
ठेवुनि परंपरेचे मान।
राखुनि संप्रदाय अभिमान।
रचिले अनुपम नित्य विधान।।
जयाची कृती।
आत्मसुख रती।
स्वरूपस्थिती।
सकलमत मती असे ज्याची।
मनोहरप्रभुच्या पायाची।।२।।
बालरूपांत दत्तमूर्ती।
अमित आलोक यशोकीर्ती।
सच्चिदानंदकंद स्फूर्ती।
मूर्तिमत् ज्ञानकर्मभक्ती।।
सुंदर प्रभुमंदिर निर्माण।
अविरत प्रभुमहिमा गुणगान।
माणिकनामामृत रसपान।
करवुनि देई आत्मज्ञान।।
शरण जा त्वरा।
चरण ते धरा।
स्मरण नित करा।
मरणभयहराकृपा ज्याची।
मनोहरप्रभुच्या पायाची।।३।।
श्री ज्ञानराज माणिकप्रभु महाराज
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श्री मनोहर माणिकप्रभु महाराज की जय 🙏🙏
जय गुरु माणिक, नावा प्रमाणे ज्ञानाचे प्रदर्शन. भक्तांना उपदेश. धन्य.
Sri Sadguru Manohar MANIK PRABHU MAHARAJ KI Jai
खूप छान. जय गुरू माणिक. धन्यावाद.
माणिक प्रभू महाराज की जय
Jay guramanik prabhu
🙏🌺||श्री_माणिक्यप्रभोर्विजयते ||🌺🙏
मनोहर माणिक प्रभुंचे मुर्तिमंत वर्णन
🙏 जय गुरु माणिक 🙏
जय गुरु माणिक